Tuesday, July 28, 2009

bas yu hi ...

vo paigaam bhi jhootha hai jisko log naa maane ..
dil ki lagi hai kya jise majbooriya jaane
vo khwaab hai usko, hansi ek khwaab rahne do
na tu kar dillagi -e-dil ki jab kamjoriya jaane ..

Wednesday, July 15, 2009

kshanika

पगलाए मेरे कदम
मेरी कलम
मेरा मन
आँख बंद
खोजू उसे
जो है नहीं
फिर भी है सभी के मन
आत्मा परम .....

kshanika

हर तरफ मातम सा छाया
खो गयी है हर ख़ुशी
लग रहा है घर में मेरे
हो गया फिर चुप कोई
आँख है सबकी भरी
शून्य में निहारती
दर्द ओंठों से सिये
सिसकियों को मारती
आहात हुए वो कौन है
घायल सी कोमल भावना
मन में उपजी थी कभी वो
मृत हुई जो कामना ......
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kshanika

जिसकी हर आवाज़ पर
रूह काँप उठती थी
रसोई में काम करते वक्त
करछी छूट जाती थी
थोडा-थोडा सा मन
सहम जाता था
एक भय सदा ही
छाया रहता था
जिसके शब्दभेदी बाण
अक्सर बेधते थे
बात-बेबात मुखसे
निकल जाते थे
साडी के आँचल को
खींचकर लपेटती थी खुदको
कहीं आहात न हो
मेरी देह सोचती थी
पर मन
लहूलुहान हो जाता था
बार-बार मरकर भी
जी जाता था
उसी से जिससे मेरी
कभी न बनी
उसी की कमी क्यों अब
खलने लगी .......

kshanika

वो परमेश्वर
सर्वोपरि
अधिकारपूर्वक
करता है वरण
और...........
किंचित मन नहीं टटोलता
बस तन ही ........
आत्मा तक नहीं पहुँचता
पर फिर भी
वो परमेश्वर
सर्वोपरि..........

Monday, July 13, 2009

एक टूटन स्वप्न की है
एक टूटन अहम् की
सिर उठा कर चल न पाए
ऐसी है शर्मिंदगी .......
पेड की नव कोपले
हसती हुई सी लग रही
कर रही किलोल है
मखोल हुई ज़िन्दगी .........
उठ रही है टीस भी
तकलीफदेह आह भी
सांस रूककर आ रही है
हो रही है दिल्लगी ......
जी बहुत भारी सा है
मदमास्तियाँ खारिज हुई
देख ये भी रंग है
बदनीयती है संगिनी ..........

Sunday, July 12, 2009

मन पंछी में प्राण फूक दे उड़कर जाना दुनिया पार ,
सार नहीं कुछ जीवन में अब कहता है मन बारम्बार ..




पथरीली डगरिया बैठकर ये सोचती हूँ,
किस डगर जाना मुझे है ,
किस डगर को खोजती हूँ....




जिन दरख्तों की छाँव में पलता है जीवन ,
उन्ही दरख्तों को मेरा शत-शत बार नमन .....

Friday, July 10, 2009

kshanika

किस्मत का सितारा
टिमटिमाता सा
एक दिन
टूटकर बिखरेगा
वो भी
पर जाने से पहले
कर जाएगा पूरी
सैकडों तमन्नाओं को

kshanika

अपने विचारों मैं उलझी
किन राहों मैं नहीं भटकी
खुद की तलाश में
वक्त को बिताती हूँ
पर जवाब नहीं पाती हूँ ....
लोगों से मिलती हूँ
ताल भी मिलाती हूँ
अजनबी होने से
थोडा खौफ खाती हूँ
पर खुद को बहुत दूर
बहुत दूर पाती हूँ ....

a thought

jo kavita karta hai ya rachna karta hai ,vah aam insaan se pare hai kyuki jansaadhaaran ki tarah jeevan yaapan karte huye vah ek doosri zindagi ko bhi jeeta hai .apni bhavnaaon, apne vichaaron ko aakaar dekar pran foonkta hai .yah rachnaakaar bhagvaan ki tarah sansaar rachta hai . aur yahi sansaar kalpana aur yathaarth ke kadve meethe anubhavon se sinchit rachnaon ka sangrah banta hai .......

gazal

bebas kitne log bade
ghar hai jinke bade-bade

kamare sabke alag-alag
milte hai sab khade-khade

khayaalaat kab milte hai
baat karen toh jhagad pade

milna bhi aasaan nahi
pahre hote bahut kade

hanse kabhi toh dikhte hai
heere moti daant jade....

भावना

मात्र साधारण सी
बहुत ही मामूली
मन मैं यदा -कदा
उठ जाने वाली
एक छोटी सी चाह....
क्या आप परिचित है ???/
हां , ठीक कहाँ -
वही भावना .....
जिसके पूर्ण हो जाने पर
कोई ख़ास ख़ुशी नही होती
और जिसके अपूर्ण रह जाने पर भी
न ही ज्यादा दुःख होता है .....
यकीनन कुछ भावः इसे
जीवन्तता प्रदान करते है .....
वर्ना यह क्या है ---
मात्र साधारण सी
बहुत ही मामूली
मन मैं यदा-कदा
उठ जाने वाली
एक छोटी सी चाह .........

kshanika

गुलाब की पंखुरी सा
नरम मुलायम सा ख्वाब
तैरता रहा
बड़ी काली आँखों मैं .
चुराए जाने के डर से
छुपा लिया उसे
पलकों मैं
पर वो
लुढ़कता हुआ
गालों पर आ गया
और गुम हो गया.......

kshanika

एक पल
वही
जो अभी था
आज नहीं
चला गया
न मालूम
कहाँ
अतीत के
गर्भ मैं
गम हो गया .
एक दिन
हम भी ........

gazal

उसकी आँखों मैं आंसू के मोती रहे
तो हसाया नहीं कीजिये
उसके हाथों मैं गम की लकीरें रहे
तो खुशियाँ नहीं दीजिये ...

मेरे मन की ख़ुशी भी उसी मन रहे
मेरे लैब की ख़ुशी भी उसी को मिले
वो ख्वाब सुनहरा बुनता हो तो
नश्तर न चुभो दीजिये ....

वो हर वक्त तेरी नज़र मैं रहें
वो चले तो तू उसका सहारा बने
ज़मी-आसमा जब मिलते हो तो
उनको तकलीफ न दीजिये .....

kuchh panktiyan

मन पंछी में प्राण फूक दे
उड़कर जाना दुनिया पार ,
सार नहीं कुछ जीवन में अब
कहता है मन बारम्बार ..


जिन दरख्तों की छाँव में पलता है जीवन ,
उन्ही दरख्तों को मेरा शत-शत बार नमन .


पथरीली डगरिया
बैठकर ये सोचती हूँ,
किस डगर जाना मुझे है ,
किस डगर को खोजती हूँ ...

death

death
still a mistery
said in 'history'
those who meets
loose everything
but actually
gets everything
it is only the
purpose ov life
this is the end
ov man's strife
sometimes it moves slowly
sometimes abruptly
each has to face
willingly or non-willingly.......

daughters

Rose bud
In it's full blossom
Pretty and sweet;
It's mesmeric fragrance
Spread all over the atmosphere,
Overwhelm us..

Was a perfect
Gift for my God
I thought;
Whom I offer prayers
As I feel
He only , knows
The value and worth of it-
So, paid homage to Him.

Daughters too,
Like blooming flower
And Groom
As the god
We assume.......

dreams

Empty Dreams
Life is full of colours and creations
Hopes, dreams and aspirations,
To achieve all that, Man strive
For those, feel, but deprive...

Peace is no more
Routine busy and bore,
Fight like a warrior
Crossing all barrier.....

Atlast, get and reach to the height
With all weapons and arms might,
If ponder ,really what is lost
Joy and fun , all the most .....

Difficult to maintain
Whatever have attain,
With all the grace
With arms embrace....

Analyse critics, and then say
A lonliness only, but not gay,
Dreams are empty , when turn concrete
Do not have a soothing breathe....

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अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....