Showing posts with label gazal. Show all posts
Showing posts with label gazal. Show all posts

Sunday, June 26, 2011

gazal

dekh teri vajaha se ye haalat ho gayi
subah huee kab shaam aur kab raat ho gayi ...

kyu nahi poonchha ki mera haal kaisa hai
is soch mei ki aayega tu raat ho gayi....

Monday, November 9, 2009

gazal

जी रहा हूँ या की जाने मर रहा हूँ मैं
ज़िन्दगी है दर्द उसको पी रहा हूँ मैं ....

अल्फाज़ को तुम तौल कर ही बोलना साथी ,
फिर न कहना की बहुत पछता रहा हूँ मैं ....

झुक जाएगा अम्बर ज़मीन की हर पुकार पर ,
जानता हूँ फिर भी क्या झुठला रहा हूँ मैं .....

क्या सुखन है खुद को देने मैं ज़रा तकलीफ ,
प्यार शायद इसलिए ही कर रहा हूँ मैं .....

Friday, September 25, 2009

gazal

जी रहा हूँ या की जाने मर रहा हूँ मैं
ज़िन्दगी है दर्द उसको पी रहा हूँ मैं ....

अल्फाज़ को तुम तौल कर ही बोलना साथी ,
फिर न कहना की बहुत पछता रहा हूँ मैं ....

झुक जाएगा अम्बर ज़मीन की हर पुकार पर ,
जानता हूँ फिर भी क्या झुठला रहा हूँ मैं .....

क्या सुखन है खुद को देने मैं ज़रा तकलीफ ,
प्यार शायद इसलिए ही कर रहा हूँ मैं .....

Tuesday, August 18, 2009

gazal

सब कुछ अब तो एक फ़साना लगता है
जीना तो बस एक बहाना लगता है ...

सब के सब जाने पहचाने लगते है
बेसुध बेबस एक दीवाना लगता है ...

उल्फत की गलियों में फिरता रहता है
यादें तो बस एक तराना लगता है ...

चलते-चलते बार - बार रुक जाता है
हर चेहरा जाना - पहचाना लगता है ...

हंस- हंसकर अपने किस्से कह जाता है
उसका आना मुझे सताना लगता है ...

gazal

उसकी आँखों में आंसू के मोती रहे
तो हसाया नहीं कीजिये ...
उसके हाथों में गम की लकीरें रहे
तो खुशियाँ नहीं दीजिये ...

मेरे मन की ख़ुशी भी उसी मन रहे
मेरे लैब की हंसी भी उसी को मिले
वो सपने सुनहरे जब बुनता हो तो
नश्तर न चुभो दीजिये ...

वो हर वक्त तेरी नज़र में रहे
वो चले तो तू उसका सहारा बने
और ज़मी-आसमा जब मिलते हो तो
उनको तकलीफ न दीजिये ....

gazal

खामोशियाँ भी ज़हर घोलती है ...
बातें हमेशा नहीं बोलती है ....

रहता है चुप आजकल वो हरदम
दिल की लगी भी बहुत बोलती है ....

लाखों सवाल उठ रहें ज़हन में
तकदीर भी क्या गज़ब तोलती है ....

शायद नशे में रहता है अब भी
सर जो छाडे तो बहुत बोलती है ...

चौराहे पर खड़ी थी मोहब्बत
आवारा गलियों में डोलती है .....

कहा था न मैंने परवाना न बन
शम्मा जलाकर ही मन तोलती है .....

Friday, July 10, 2009

gazal

bebas kitne log bade
ghar hai jinke bade-bade

kamare sabke alag-alag
milte hai sab khade-khade

khayaalaat kab milte hai
baat karen toh jhagad pade

milna bhi aasaan nahi
pahre hote bahut kade

hanse kabhi toh dikhte hai
heere moti daant jade....

gazal

उसकी आँखों मैं आंसू के मोती रहे
तो हसाया नहीं कीजिये
उसके हाथों मैं गम की लकीरें रहे
तो खुशियाँ नहीं दीजिये ...

मेरे मन की ख़ुशी भी उसी मन रहे
मेरे लैब की ख़ुशी भी उसी को मिले
वो ख्वाब सुनहरा बुनता हो तो
नश्तर न चुभो दीजिये ....

वो हर वक्त तेरी नज़र मैं रहें
वो चले तो तू उसका सहारा बने
ज़मी-आसमा जब मिलते हो तो
उनको तकलीफ न दीजिये .....

Followers

About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....