Tuesday, August 18, 2009

gazal

सब कुछ अब तो एक फ़साना लगता है
जीना तो बस एक बहाना लगता है ...

सब के सब जाने पहचाने लगते है
बेसुध बेबस एक दीवाना लगता है ...

उल्फत की गलियों में फिरता रहता है
यादें तो बस एक तराना लगता है ...

चलते-चलते बार - बार रुक जाता है
हर चेहरा जाना - पहचाना लगता है ...

हंस- हंसकर अपने किस्से कह जाता है
उसका आना मुझे सताना लगता है ...

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About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....