Sunday, August 23, 2009

geet

geet
एक सितारा टिमटिमाता नजर आया है,
मेरे मन को बहलाने कोई आया है।

दुःख है बडा आँसुओं में डूब गये हम,
भावनाओं के भँवर से जूझ रहे हम,
अब आस्थाओं का सवेरा मुस्कुराया है।

बरखा की बूँद गिरी और धरा खिली,
खेतों में फसलों की चादर मिली,
मस्त परिन्दा भी अब गुनगुनाया है।

पंछी बन बावरा मन घूमता फिरे,
डाल-डाल, पांत-पांत झूमता फिरे,
गीतों के मधुरस से मन भिगोया है।

बीती हुई बात को तू सोचता है क्यूँ,
बार-बार मन की परत खोलता है क्यूँ,
नीम की कडवाहटों से रस बनाया है।

लग रही निशा मुझे भी कुछ भली-भली
देखे हैं सुख-दुःख हर गाँव हर गली
तजुर्बों को मैंने साँसों में पिरोया है।

Bhawana

1 comment:

Unknown said...

aapke collections ko dekh kar lagta he, ki bahut dard chhupa rakha he iss pahlu me........

Followers

About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....