कब से मैं भटक रही
रौशनी की चाह में
मिल गया जुगनू मुझे ।
जुगनू मिला तो क्या मिला
कुछ काम का नहीं
न चराग है , न लौ जली हुई ।
भावना शर्मा
रौशनी की चाह में
मिल गया जुगनू मुझे ।
जुगनू मिला तो क्या मिला
कुछ काम का नहीं
न चराग है , न लौ जली हुई ।
भावना शर्मा