Monday, December 11, 2017

जुगनू

कब से मैं भटक रही
रौशनी की चाह में
मिल गया जुगनू मुझे ।

जुगनू मिला तो क्या मिला
कुछ काम का नहीं
न चराग है , न लौ जली हुई ।

भावना शर्मा

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About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....