Friday, July 10, 2009

kshanika

गुलाब की पंखुरी सा
नरम मुलायम सा ख्वाब
तैरता रहा
बड़ी काली आँखों मैं .
चुराए जाने के डर से
छुपा लिया उसे
पलकों मैं
पर वो
लुढ़कता हुआ
गालों पर आ गया
और गुम हो गया.......

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About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....