Sunday, July 12, 2009

मन पंछी में प्राण फूक दे उड़कर जाना दुनिया पार ,
सार नहीं कुछ जीवन में अब कहता है मन बारम्बार ..




पथरीली डगरिया बैठकर ये सोचती हूँ,
किस डगर जाना मुझे है ,
किस डगर को खोजती हूँ....

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About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....