Friday, June 25, 2010

ek khayaal

बिन छुए तेरे
तेज़ हुई धड़कन
रग -रग में मेरे
दौड़ उठी सिहरन ......
कैसे मेरे मन में
पल रहा था एक ख्वाब
जैसे देता रात को
चांदनी मेहराब .......
आया था एक झोंखा
सब कुछ वो ले गया
होंठों पे बस मेरे
नाम तेरा रह गया ....
घुमु बन के बावरी
याद तेरी आये
तुझसे मिलु कब मैं
अब न raha जाए ........

जून , 2002

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About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....