Monday, June 28, 2010

कुछ अनाम रिश्ते ...

रिश्तों की गिरफ्त में
कैद है हर मनुष्य ...
बंधता है जीवन भर के लिए
बस एक ही बार
कभी साथ नहीं छूटता ...
चाहे मन बैरी हो जाए
चाहे अलगाव हो जाए
फिर भी अंतस में कहीं
घर बनाये रहते है
ये जुड़े -अन्जुदे रिश्ते ....
मीठे भी कडवे भी
अधूरे पड़े कुछ रिश्ते
गलियारे ढूढ़ते है
कही कोई निशाँ हो
पहचान का कही...
पर फिर भी ताउम्र
अपना अस्तित्व
तलाशते रहते है
कुछ जीते है
बिना अस्तित्व के
कुछ अनाम रिश्ते ...
21st april, 2009

4 comments:

Udan Tashtari said...

उम्दा अभिव्यक्ति! बढ़िया लगी.

Sunil Kumar said...

sundar rachna badhai

bhawana said...

tareef ke liye shukriya ...

Deepak Shukla said...

Hi..

Rishta chahe koi hota..
Dil main rahta bankar yaad..
Chahe sang ho chalta koi..
Ya fir chhod chale wo sath..

Deepak..

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About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....