Monday, July 26, 2010

geet

vyastta ko bhool
ab to
deep man ke
tum jalao
ghar-angan
prakaashmay ho
geet aisa
gungunao....

2 comments:

हरकीरत ' हीर' said...

व्यस्तता को भूल
अब तो
दीप मन के
तुम जलाओ
घर आँगन
प्रकाशमय हो
गीत ऐसा गुनगुनाओ .....!!

भावना जी छोटी सी सुंदर नज़्म .....!!

देवनागरी में लिखने की कोशिश करें ......!!

Deepak Shukla said...

Hi..

Hai yahi dil se dua ki..
Tum sada hi muskuro..
Tan suwasit, man ho nirmal..
Har ek pal khushiyan hi pao!

Sundar geet..

Deepak..

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About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....