Monday, July 25, 2016

तन्हाई

तन्हाई जो कुछ कहती है
क्या बूझ कोई पाता उसको ?
सन्नाटे की भाषा उसकी
चुपके से बात सुनाती है ।

परिभाषा सबके लिए अलग
तन्हाई में जो रहता है ।
कोई रोता है, कोई गाता है
कोई अपनी राग सुनाता है ।

धीमे - धीमे, हौले - हौले
मन के तारों से झंकृत ,
अमृत सी वाणी सुनकर
क्या याद उसे कुछ रहता है ?

भावना शर्मा

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About Me

अपने विचारों मैं उलझी किन राहों मैं नहीं भटकी खुद की तलाश में वक्त को बिताती हूँ पर जवाब नहीं पाती हूँ .... लोगों से मिलती हूँ ताल भी मिलाती हूँ अजनबी होने से थोडा खौफ खाती हूँ पर खुद को बहुत दूर बहुत दूर पाती हूँ ....