तन्हाई जो कुछ कहती है
क्या बूझ कोई पाता उसको ?
सन्नाटे की भाषा उसकी
चुपके से बात सुनाती है ।
परिभाषा सबके लिए अलग
तन्हाई में जो रहता है ।
कोई रोता है, कोई गाता है
कोई अपनी राग सुनाता है ।
धीमे - धीमे, हौले - हौले
मन के तारों से झंकृत ,
अमृत सी वाणी सुनकर
क्या याद उसे कुछ रहता है ?
भावना शर्मा
क्या बूझ कोई पाता उसको ?
सन्नाटे की भाषा उसकी
चुपके से बात सुनाती है ।
परिभाषा सबके लिए अलग
तन्हाई में जो रहता है ।
कोई रोता है, कोई गाता है
कोई अपनी राग सुनाता है ।
धीमे - धीमे, हौले - हौले
मन के तारों से झंकृत ,
अमृत सी वाणी सुनकर
क्या याद उसे कुछ रहता है ?
भावना शर्मा
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